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वर्ण पिरामिड



वर्ण पिरामिड


जाओ

घर में

जाना मत

बने रहना

लोग तरसते

तुम अनमोल हो

कभी बाहर न रह

दीदार तेरा हो सतत।


छू

लेना

बहुत

मनहर

छाँव शीतल

शील बनकर

मधुर तरुवर

के तले योगी सदा हो

 अटल सा होना सतत।


क्या

मिला

सुन ले

अगर तू

आ सका नहिं

काम जनहित

कर भला सबका 

सहज में चाह यदि

कल्याण की हो कामना।




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1 Comments

अदिति झा

12-Jan-2023 04:29 PM

Nice 👍🏼

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